संकल्प की शक्ति एक बार एक गुरु अपने कुछ शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले. चलते-चलते रास्ते में उन्हें एक चट्टान दिखाई पड़ी. एक शिष्य ने कहा,' मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि इस चट्टान से बड़ा इस संसार में कुछ और नही हैं.' तब दूसरे शिष्य ने कहा,' पर मुझे ऐसा लगता है कि लोहा इस चट्टान से ज्यादा बड़ा है क्योंकि वह इसे काटने की शक्ति रखता है.' तीसरे शिष्य ने कहने में देर नही की ,' मित्रों, अग्नि तो लोहे से भी बड़ी हुई ना क्योंकि वह तो इसे गला देती है.' चौथा शिष्य भला कहां चुप रहने वाला था उसने तपाक से कहा,' पर अग्नि भी कहां सबसे बड़ी है, पानी तो उसका अस्तित्व ही मिटा देती है तो सबसे बड़ी तो पानी हुई ना.' पांचवां शिष्य भी बोल ही पड़ा,' पानी से बड़ी तो हवा हुई ना वह तो उसे सुखा देती है.' सभी शिष्य असमंजस में थे. कौन इनमे सबसे बड़ा है यह तय नही हो पा रहा था.अंत में सभी ने गुरु की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखा. गुरु जी के चेहरे पर हल्की मुस्कान तैर गई. वे बो
Posts
Showing posts from March, 2015